TRIBUTE TO UNSUNG HEROES OF LADAKH, Bhartiya Vidya Niketan School, Abran Zanskar
लद्दाख के अज्ञात अल्पज्ञात नायकों को श्रद्धांजलि
आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशन में सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज (सी.ए.आर.डी.सी.) तथा लद्दाख फंडे छोंगस्पा, लद्दाख के संरक्षण में कार्यक्रमों की श्रृंखला जारी है। जिसकी शुरुआत भारतीय विद्या निकेतन विद्यालय से की गई , स्वतन्त्रता सेनानियो को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम हुआ।
कार्यक्रम का प्रारंभ मां भारती तथा दलाई लामा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
मुख्य अतिथि श्री लामा ताशी छेरिंग, लद्दाख फंडे छोंगस्पा ने बच्चों को इन स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर देश की उन्नति के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ने बताया कि भारतीय स्वतंत्रता के इस संग्राम में सुने- अनसुने लगभग 8 लाख वीरों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। इन्होंने अपने बलिदान से इस धरती को वंदनीय बनाया है।
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे जब 1948 में पाकिस्तान ने लद्दाख पर आक्रमण किया तो यहां के निवासियों ने भारतीय सेना की सहायता से उन्हें भगा दिया। उन्हीं में से एक नाम है सोनम स्टैंजिन का जो उस समय के ज़ैलदार थे। उन्होंने गांव के लोगो को इकट्ठा कर के घुसपैठितयों से लड़े और भगाया ।
उन्हीं सोनम स्टैंजिन के पोते श्री पाली ने अपने दादा जी को याद करते हुए बताया कि वह शुरू से ही समाज कल्याण के इच्छुक थे, उन्होंने 22 वर्ष की आयु में स्कूल में दाखिला लिया जिसने अन्य लोगों को भी प्रेरित किया। इनकी याद मे गांव में एक स्तूप का भी निर्माण किया गया है।
क्रंतितीर्थ ऐसे देशभक्त बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का एक उत्कृष अवसर है।