बलिदानों को समर्पित लोकगीत प्रतियोगिता
आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशन में सीएआरडीसी यानी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज द्वारा संस्कार भारती के सहयोग से गुमनाम क्रांतिकारियों को प्रकाश में लाने के लिए आजकल ताजनगरी के विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति तीर्थ श्रंखला का आयोजन किया जा रहा है।
इस कड़ी में गुरुवार को यमुना ब्रिज स्थित श्यामलाल सरस्वती विद्या मंदिर में क्रांतिवीरों के बलिदानों को समर्पित लोकगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कक्षा 4 से कक्षा 8 तक के 50 बच्चों ने लोकगीत सुना कर सब को भावविभोर कर दिया। विशेषकर वरिष्ठ साहित्यकार और क्रांति तीर्थ श्रंखला के मंडल समन्वयक राज बहादुर सिंह राज द्वारा रचित गीतों को जब विद्यार्थियों ने अपना स्वर दिया तो देशभक्ति का जज्बा उमड़ पड़ा। बोल इस प्रकार थे- " कण-कण पूछ रहा माटी बलिदानी का। देव धरा पर आहुति चढ़ी जवानी का। क्या मेरा बलिदान व्यर्थ हो जाएगा! लहू मेरा क्या रंग नहीं दिखलाएगा!!.."। इस अवसर पर स्कूल के प्रधानाचार्य उत्तम सिंह ने क्रांति तीर्थ श्रंखला की सराहना करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में गुमनाम क्रांतिकारियों का योगदान कम नहीं।
मुख्य अतिथि नवनिर्वाचित पार्षद श्याम सुंदर अग्रवाल ने कहा कि ऐसे आयोजनों से राष्ट्र के प्रति बच्चे जागरूक होंगे और उनके मन में देशभक्ति की भावना प्रबल होगी। समारोह का संचालन राघवेंद्र शर्मा ने किया। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक राज बहादुर सिंह राज, आलोक आर्य, राम अवतार यादव, राजेंद्र गोयल, संजय दौनेरिया, संजय अग्रवाल, श्याम सिंह चाहर और हरिमोहन भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।