श्रीमान लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की प्रतिमा का माल्यार्पण एवं उनका सम्मान
श्रीमान लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की प्रतिमा का माल्यार्पण एवं उनका सम्मान| स्थान- बाल गंगाधर तिलक जी प्रतिमा, तिलक भवन स्कूल, फिरोजाबाद
मालार्पण के पश्चात् उपस्थित विद्वतजनों ने तिलक की राष्ट्रभक्ति से उपस्थित लोगों को अवगत कराया।
लोकमान्य तिलक ने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा और स्वराज्य इस चतु: सूत्री मन्त्र दिया।बाल गंगाधर तिलक पहले भारतीय नेता थे जिन्होंने यह कहा, "स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है। मैं इसे लेकर रहूँगा।"
बहुमुखी प्रतिभा के धनी तिलक, भारत के राष्ट्रीय आंदोलन के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं। एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ उन्होंने अपने जीवन काल में शिक्षक, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार रूप में भी कार्य किया।
उन्होंने भारतीय संस्कृति के आदर्श के प्रति लोगों को जागरूक किया और विद्यार्थियों को नई दिशा प्रदान की । इन्होंने हमेशा ही अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली की आलोचना की।
तिलक ने लोगो में जागरूकता फैलाने के लिए उनके अंदर स्वशासन की भावना जागृत करने के लिए 1881 में दो पत्रिकाएं मराठा और केसरी की शुरुआत की । मराठा अंग्रेजी में और केसरी पत्रिका मराठी भाषा में प्रकाशित होती थी। इन दोनों पत्रिकाओं में बाल गंगाधर तिलक अंग्रेजी शासन की आलोचना करते थे और यह दोनों ही पत्रिका बहुत जल्द जनता में लोकप्रिय हो गई।