स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा का माल्यार्पण एवं सम्मान
स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा का माल्यार्पण एवं सम्मान
अतिथियों ने स्वामी विवेकानंद के दर्शन बारे में उपस्थित लोगों को अवगत कराया। स्वामी विवेकानन्द महान आध्यात्मिक गुरु थे। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के वह एक प्रमुख प्रेरणा के स्रोत रहे। उनका विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। इस पावन धरती पर बड़े-बड़े महात्माओं व ऋषियों का जन्म हुआ है, यही संन्यास एवं त्याग की भूमि है। बस यहीं पर आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिये जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है। उनका विचार था कि उपयुक्त शिक्षा के माध्यम से मनुष्य का व्यक्तित्व विकसित होना चाहिए और चरित्र की उन्नति होनी चाहिए। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में उनकी वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उनका कथन,"उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये” आज भी असंख्य जनों का प्रेरणा स्त्रोत है।