चमरौला घटनाक्रम के क्रान्तिकारियों को समर्पित कवि सम्मेलन एवं शहीदो के परिवारीजनों का सम्मान
चमरौला घटनाक्रम के बलिदानियों को किया याद, कवियों ने अपनी कविताओं से जगाई देशभक्ति की अलक
क्रांतितीर्थ कार्यक्रमों की एक शृंखला मात्र नहीं है, अपितु ये एक अभियान है उन बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का जिन्होंने अनेक कष्ट सहे, अपना जीवन, अपना सर्वस्व देश की स्वतंत्रता के लिए, स्वराज की, स्वधर्म की भावना के लिए समर्पित कर दिया, फिर भी वे इतिहास के पृष्ठों में अनाम रह गए, अल्पज्ञात रह गए। इसी अभियान को सफल बनाने के उद्देश्य से आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत क्रांति तीर्थ श्रृंखला में आगरा के चमरौला घटना के बलिदानियों की याद में एक विशाल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में जाने माने कवियों ने भाग लिया और इस आयोजन में आए सभी लोगों के मन को अपने गीतों से छुआ और अपनी कविताओं से सभी को भावविभोर कर दिया। इस कार्यक्रम की शुरुआत जाने माने कवि मोहित सक्सेना ने की और उन्होंने आगरा के वीर सपूत कैप्टन सौरभ को भी याद किया। वही वरिष्ठ कवि राज बहादुर सिंह राज की इन पंक्तियों ने देशभक्ति का जज्बा जगाया- "मरा नहीं आँखों का पानी, मैंने बेची नहीं जवानी। मेरे देश! मैं तेरी खातिर, कर दूँगा सौ सौ कुर्बानी.."|
इसके बाद व्यंग्यकार रामबीर शर्मा, संजीव वशिष्ठ, पद्म गौतम, राकेश निर्मल और राघवेन्द्र शर्मा ने भी अपने-अपने गीतों से लोगों के दिलों को छुआ।
इससे पूर्व समारोह के मुख्य अतिथि विधायक डॉक्टर धर्मपाल सिंह, समारोह के अध्यक्ष डॉक्टर बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय में इतिहास एवं संस्कृति विभाग के आचार्य प्रोफ़ेसर सुगम आनंद, विशिष्ट अतिथि संस्कार भारती के अखिल भारतीय संरक्षक बांकेलाल गौड़, मुख्य वक्ता एडवोकेट विश्वेंद्र सिंह चौहान और कार्यक्रम समन्वयक वरिष्ठ साहित्यकार राज बहादुर सिंह राज ने संयुक्त रूप से माँ भारती की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलित कर के क्रांतितीर्थ श्रृंखला का विधिवत शुभारंभ किया।
सीएआरडीसी की तरफ से क्रांतितीर्थ श्रंखला की संकल्पना को सामने रखते हुए लक्ष्मीबाई महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ. अमृता शिल्पी ने कहा कि क्रांतितीर्थ राष्ट्र जागरण का पर्व है। यह उन बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का अभियान है जिन्होंने स्वतंत्रता हेतु सर्वस्व निछावर कर दिया फिर भी वे इतिहास के पृष्ठों में अनाम रह गए। क्रांति तीर्थ इस क्रांतिधरा के उन सभी अनाम और अज्ञात बलिदानियों को कृतज्ञ भारतवासियों की ओर से वंदना की श्रंखला है।
उन्होंने कहा कि अलगाव, अविश्वास, विषमता एवं विद्वेष को हटाकर राष्ट्र की एकात्मता, अखंडता, सुरक्षा, सुव्यवस्था, समृद्धि तथा शांति की ओर अग्रसर होना ही सही मायनों में बलिदानियों को श्रद्धांजलि होगी। यह कार्यक्रम इसी दिशा में एक पहल है।
चमरौला कांड का स्मारक है राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा
समारोह के मुख्य वक्ता एडवोकेट विश्वेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि भारत में अंग्रेजों की क्रूर सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए गांधी जी ने देश के युवाओं को करो या मरो का आह्वान करते हुए अगस्त क्रांति की शुरुआत की थी। इसी की परिणति में हुए चमरौला कांड का स्मारक आज भी युवाओं को राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित करता है।
क्रांतिकारियों के पुण्य स्मरण से मिलेगी राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा
समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ. बीआर अंबेडकर वि.वि. में इतिहास एवं संस्कृति विभाग के आचार्य प्रोफेसर सुमन आनंद ने कहा कि क्रांतिकारियों का पुण्य स्मरण आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रनिर्माण में हुए बलिदानों के प्रति कृतज्ञ बनाएगा और प्रेरणा पुंज का कार्य करेगा।
उन्होंने चमरौला घटना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि क्रांतितीर्थ चमरौला 1942 के जनविप्लव का जीवंत दस्तावेज़ है। ठाकुर उल्फत सिंह के नेतृत्व में लगभग 500 क्रान्तिकारी अत्याचारी ब्रिटिश सरकार के प्रतीक चमरौला रेलवे स्टेशन के संचार साधनों को नष्ट करने पहुँचे थे। पुलिस की गोलीबारी में पाँच लोग शहीद हुए और पैंतीस लोग गंभीर रूप से घायल हुए। देश भर में हुई ऐसी घटनाओं ने औपनिवेशिक शासकों को समझा दिया कि अब भारत को स्वतन्त्र करना ही होगा।
इस दौरान डॉ. अमृता शिल्पी, प्रदीप डबराल, डॉ. गंभीर सिंह सिकरवार, डॉ. रामवीर शर्मा रवि, अर्पित चित्रांश, हरिमोहन सिंह कोठिया, राम अवतार यादव, डॉ. तरुण शर्मा, ब्लाक प्रमुख आशीष शर्मा, यतेंद्र सोलंकी, प्रखर अवस्थी और ताहिर सिद्दीकी भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे। समारोह का संचालन कार्यक्रम समन्वयक राज बहादुर सिंह राज ने किया। कवि कुमार ललित मीडिया समन्वयक रहे।